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News Entry# 415918

Rail News
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Aug 08 2020 (17:47)
Rang De Basanti^   60108 blog posts
Re# 4683605-1              
Part-2/
वन धन विकास केंद्र / जनजातीय स्टार्ट-अप भी इसी योजना का एक घटक है, जो एमएसपी को खूबसूरती से आगे बढ़ाता है क्योंकि यह जनजातीय संग्राहकों, वनवासियों और घर में रहने वाले जनजातीय कलाकारों के लिए रोजगार सृजन का एक स्रोत बन गया है। 18500 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में फैले 1205 जनजातीय उद्यमों को 22 राज्यों में 3.6 लाख जनजातीय संग्राहकोंएवं 18000 स्वयं सहायता समूहों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। इस कार्यक्रम की खूबसूरती यह है कि यह सुनिश्चित करता है कि इन मूल्य वर्धित उत्पादों की बिक्री से प्राप्त आय सीधे आदिवासियों के पास जाए। ये मूल्य-वर्धित उत्पाद बड़े पैमाने पर इन जनजातीय उद्यमों द्वारा प्रदान किये गये पैकेजिंग और विपणन से
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लाभान्वित होते हैं। मणिपुर एवं नागालैंड जैसे राज्य इसके बेहतरीन उदाहरण के रूप में उभरे हैं जहां ऐसे स्टार्ट-अप मजबूती पा चुके हैं।

A truck is parked on the side of a buildingDescription automatically generatedA group of people sitting at a fruit standDescription automatically generatedA picture containing table, food, sitting, frontDescription automatically generated

वन उपज के मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण के लिए मणिपुर राज्य में कुल 77 वन धन केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन वन धन केंद्रों ने सितंबर 2019 से लेकर अबतक 49.1 लाख रुपए की एमएफपी उत्पादों की बिक्री की है! इन केंद्रों द्वारा अपनाई गई अनुकरणीय खाद्य सुरक्षा एवं स्वच्छता मानक, आंवला जूस, इमली आंवला कैंडी और बेर जाम जैसे प्रसंस्करित उत्पादों की शानदार आकर्षक पैकेजिंग तथा इन उत्पादोंकी अभिनव ब्रांडिंग एवं विपणन विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन उत्पादों की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए मणिपुर के एक जिले में मोबाइल वैन सेवा भी शुरू की गई है। ट्राइफेड अब अपनी गतिविधियों के अगले चरण में एमएफपी योजना के लिए एमएसपी के साथ वन धन योजना को एक साथ मिलाने की योजना बना रहा है। साथ मिलकर, ये दोनों पहल रोजगार, आय और उद्यमशीलता को बढ़ाते हुए आदिवासियों के लिए एक व्यापक विकास पैकेज प्रदान करेंगी।

पूरे देश में ऐसी व्यवस्थाएं एवं प्रक्रियाएं लागू की जा रही हैं ताकि एमएफपी की खरीद साल भर चलने वाली एक गतिविधि बन जाए और इसकी वर्तमान पहुंच 3000 करोड़ रूपए के मौजूदा स्तर से बढ़कर 6000 करोड़ रूपए से अधिक तक पहुंच जाए (और 25 लाख जनजातीय संग्राहक परिवारों को लाभान्वित किया जा सके)। उत्पादन में बढ़ोतरी को मजबूत करने एवं अतिरिक्त गतिविधियों के लिए तैयार करने के लिए, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 9 लाख जनजातीय लाभार्थियों को शामिल कर 3000 वन धन विकास केंद्र (वीडीवीके) की स्थापना का लक्ष्य रखा जा रहा है।

44 वन धन विकास केन्द्रों, जो लगभग 14000 आदिवासियों को लाभान्वित करेंगे, की शुरुआत 14 जुलाई, 2020 की गई थी।

नामांकित जनजातीय कारीगरों को अधिक से अधिक अनुभव दिलाने और उनके हुनर एवं उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर लाने के लिए, ट्राइफेड जनजातीय कारीगरों को प्रशिक्षित करने के लिए रूमा देवी और रीना ढाका जैसे प्रसिद्ध डिजाइनरों के साथ सहयोग भी कर रहा है।

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अपने कार्यक्रम-द डिज़ाइनर एंड द म्यूज़, वर्तमान में न्यूज़ एक्स पर प्रसारित, में रीना ढाका साक्षात्कार की एक श्रृंखला के जरिए आदिवासी हस्तशिल्प और उत्पादों को बढ़ावा दे रही है। गौहर खान के साथ पहला साक्षात्कार 17 जुलाई, 2020 को प्रसारित किया गया था, जबकि दूसरा साक्षात्कार पूजा बत्रा के साथ 24 जुलाई, 2020 को प्रसारित हुआ था।

इन पहलों के सफल क्रियान्वयन और आने वाले कई नयी पहलों के साथ ट्राइफेड प्रभावित कारीगरों और संग्राहकों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करके देश भर में जनजातीय जीवन एवं आजीविका में पूर्ण परिवर्तन लाने की दिशा में काम कर रहा है।

*****

एसजी / एएम / वीएस/ डीसी





(रिलीज़ आईडी: 1641845) आगंतुक पटल : 24

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