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Station Yard;
Station yard PSR / FOB View
Entry# 5048552-0
Large Station Board;
Entry# 5048552-0


PSR/Pasraha (2 PFs)
पसराहा
پسراہا

Track: Double Electric-Line

Updated: Nov 19 2022 (23:49) by KhagariaJn^~
Pasraha Railway Station (PSR) is located in Pasraha, Khagaria district, Bihar. It has two platforms and serves as a vital link for passengers travelling through this region. The station offers basic amenities like a waiting room, ticket counters, and water facilities. Passengers can also find local shops and street food stalls near the station.

Tourism

Pasraha Hanuman Temple: A renowned temple dedicated to Lord Hanuman.
Khageshwarnath Temple: An ancient Shiva temple located in Khagaria town.
Baba Balak Nath Temple: A popular temple dedicated to Baba Balak Nath.
Maa Durga Temple: A revered temple dedicated to Goddess Durga.
Jain Temple: A serene Jain temple located in Khagaria.

Food

Shree Krishna Sweets: Famous for its delicious sweets and savoury snacks.
The Vegetarian Corner: Offers a wide variety of vegetarian dishes at affordable prices.
Sai Baba Dhaba: A popular choice for vegetarian thalis and snacks.
Biryani House: Offers delicious vegetarian biryani and other North Indian dishes.
Chaat Corner: A great place to enjoy authentic Indian street food.

Station Address

Pasraha Station Road, Distt.- Khagaria, Pin :- 851212
State: Bihar

Elevation: 41 m above sea level
Type: Regular   Category: NSG-5
Zone: ECR/East Central   Division: Sonpur


No Recent News for PSR/Pasraha
Nearby Stations in the News
Number of Platforms: 2
Number of Halting Trains: 12
Number of Originating Trains: 0
Number of Terminating Trains: 0
0 Follows
Rating: NaN/5 (0 votes)
cleanliness - n/a (0)
porters/escalators - n/a (0)
food - n/a (0)
transportation - n/a (0)
lodging - n/a (0)
railfanning - n/a (0)
sightseeing - n/a (0)
safety - n/a (0)

Station Forum

Page#    Showing 1 to 5 of 20 blog entries  next>>
Rail Fanning
246711 views
22

★★★
Aug 23 2021 (20:05)   03367/Katihar - Sonpur MEMU Special | PSR/Pasraha (2 PFs)
KhagariaJn^~
KhagariaJn^~   63497 blog posts
Entry# 5048552            Tags   Past Edits
Today captured 03367 KIR SEE memu spl

Morning journey from Pasraha to Chaidha Banni Halt

Pic detail 👉
...
more...

1. 03367 from view
2/3. FOB View PSR stn
4. Train pic 03367
5/6/7. SB of PSR
8. Loco of derailed Amrapali Exp

More pic in reply 👇👇

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General Travel
25328 views
1

Oct 03 2020 (10:25)   05713XX/Katihar - Patna InterCity Special | PSR/Pasraha (2 PFs)
KhagariaJn^~
KhagariaJn^~   63497 blog posts
Entry# 4732449            Tags   Past Edits
This train is stopped daily at Pasraha.
But booking show nahi ho raha.
I want to add halt at PSR
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General Travel
55674 views
0

Feb 29 2020 (09:04)   PSR/Pasraha (2 PFs)
KhagariaJn^~
KhagariaJn^~   63497 blog posts
Entry# 4579640            Tags  
#Pasraha
पसराहा में रुके एक्सप्रेस ट्रेन: रेल उपभोक्ता संघर्ष समिति
1. आम्रपाली एक्सप्रेस
2. कैपिटल एक्सप्रेस
3. हाटे बजारे एक्सप्रेस
4.
...
more...
टाटा लिंक एक्सप्रेस

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General Travel
37727 views
0

Sep 16 2019 (22:51)   GAI/Gauchhari (3 PFs)
Kishor Kumar~
Kishor Kumar~   174 blog posts
Entry# 4430182            Tags   Past Edits
खगड़िया में दर्दनाक हादसा: ट्रेन से कटकर मां-बेटे की मौत, बाल-बाल बचा पिता।
लोगों के मुताबिक महिला अपने पति और बच्चे के साथ कटिहार जाने के लिए गौछारी स्टेशन पहुंची थी. इस दौरान पैसेंजर ट्रेन में काफी भीड़ थी और उसी ट्रेन में सवार होने के दौरान ये हादसा हुआ.
बिहार के खगड़िया (Khagaria) में सोमवार को हुए एक हादसे में ट्रेन से कटकर मां-बेटे की दर्दनाक मौत हो गई. घटना खगड़िया के गौछारी स्टेशन (Railway Station) के पास की है. जानकारी के मुताबिक हादसा कटिहार से बरौनी जाने वाली पैसेंजर ट्रेन (Passenger
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Train) में सवार होने के दौरान हुआ. इस दौरान एक मां अपने नवजात बच्चे के साथ ट्रेन के नीचे आ गई और फिर ट्रेन से कटकर दोनों की मौत हो गई.
पति और बेटे के साथ जा रही थी महिला।
खगड़िया में हुई इस घटना में महिला का पति बाल-बाल बच गया. मृतक महिला गौछारी नवटोलिया की रहने वाली थी. बताया जा रहा है कि कटिहार जाने के लिए महिला अपने पति और बच्चे के साथ गौछारी स्टेशन पहुंची थी. इस दौरान पैसेंजर ट्रेन में काफी भीड़ थी. ट्रेन में सवार होने के दौरान ट्रेन खुल गई. इस दौरान मची आपाधापी में महिला और उसके बच्चे का संतुलन बिगड़ गया और दोनों की जान चली गई.
मामले की जांच को पहुंची पुलिस
इस दर्दनाक घटना की जानकारी स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस को मिली. मामले की जानकारी स्थानीय रेल पुलिस को दी गई जिसके बाद पुलिस शवों को मौके से हटाने के लिए घटनास्थल पर पहुंची. इस घटना के बाद से मृतक के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.

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General Travel
48055 views
1

Aug 19 2019 (14:15)   BRKB/Bharat Khand (2 PFs)
KhagariaJn^~
KhagariaJn^~   63497 blog posts
Entry# 4405012            Tags   Past Edits
***एतिहासिक भरतखंड किला (बाबन कोठली तिरपन द्वार)***
स्थान :- खगड़िया जिले के गोगरी प्रखंड अंतर्गत सौढ दक्षिणी पंचायत के भरतखंड गांव का ढाई सौ साल पुराने बाबन कोठली तिरपन द्वार के नाम से विख्यात पक्का एवं सुरंग को देखने के बिहार ही नहीं अन्य राज्यों के दुर दराज से कोने-कोने से लोग आते हैं।
यह धरोहर जाह्नवी (गंगा) के तट पर अवस्थित है।
*बनाया
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गया*:-
18वीं सदी में सोलंकी वंश के राजा मध्यप्रदेश के तरौआ निवासी बाबू बैरम सिंह ने मुगलकालीन कारीगर बकास्त मिया के हाथों 52 कोठरी, 53 द्वार का निर्माण कराया था।
जानकार बताते हैं कि इस कारीगर के नेतृत्व में तत्कालीन मुंगेर जिला के खगड़िया अनुमंडल में भरतखंड का पक्का, भागलपुर जिला के नारायणपुर - बिहपुर स्थित नगरपाड़ा का कुआँ एवं मुंगेर का किला कारीगरों ने बनाया था। लोग इस तीनों ऐतिहासिक धरोहर को क्षेत्र के लिये गौरव करार देते हैं।
महल की भव्यता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि, उक्त महल पांच बिघा, पांच कट्ठा, पांच धूर व पांच धुरकी में है।
*बनावट*:-
यह महल सुरखी चूना, कत्था, तथा राख से बनाया गया है। महल में माचिस आकार के ईंट से लेकर दो फीट तक के कई तरह के ईंटों का प्रयोग किया गया है।
महल में कुल 52 कोठली व 53 द्वार बनाए गए हैं। लोग उक्त महल को बावन कोठली तिरेपन द्वार के नाम से भी संबोधित करते हैं। बोलचाल में लोग इसे भरतखंड का पक्का भी कहते हैं।
इस खूबसूरत महल के प्रांगण में एक चमत्कारी मंडप एवं सुरंग का निर्माण कराया गया था।
महल की भव्यता, बनावट व मजबूती देख लोग प्रभावित हुए बैगर नहीं रह पाते हैं।
*किवदंती*:-
कहा जाता है उस वक्त भूल वश महल में कोई व्यक्ति प्रवेश कर जाते थे तो निकलना आसान नहीं होता था।
महल की बनावट में सभी द्वार अलग अलग तरीकों की सजावट दिवाल पर आज भी जीवित हैं। इतना पुराना महल होने के बावजूद भी कारीगरों द्वारा दिवाल पर नक्काशी आज भी लोग देखने के लिए आते हैं इतिहासकारों का मानना है कि यह हमारी धरोहर है।
कभी इसे देखने के लिये देश-विदेश के लोग पहुंचते थे।
उस जमाने में इसे लोग भरतखंड नहीं वटखंड के नाम से जानते थे।
यह भरतखंड सम्पूर्ण जिला के लिये गौरव हुआ करता था।
*52 कोठरी, 53 द्वार की विशेषता*:-
जानकारों के मुताबिक भरतखंड के ऐतिहासिक भवन के प्रागण में बने चमत्कारी मंडप के चारो खंभों पर चोट करने पर अलग-अलग तरह की मनमोहक आवाज सुनाई देती थी। इतना ही नहीं कारीगरों द्वारा बनाए गए सुरंग से राजा बाबू बैरम सिंह की रानी साहिवा गंगा स्नान करने प्रतिदिन जाया करती थी।
कभी इस महल की तुलना जयपुर के हवा महल से की जाती थी।
महल के अंदर का तापमान 10-22 डिग्री सेंटीग्रेड तक ही सीमित रहता था।
करीब छह एकड़ में फैले इस महल को बनाने में 52 तरह के ईंट का इस्तेमाल किया गया था। दरबाजे के आकार का अलग ईंट, खिड़की के आकार का अलग ईंट, दीवार की गोलाई के अनुरूप अलग ईंट का प्रयोग किया गया था। गंगा व बूढ़ी गंडक के किनारे अवस्थित होने के कारण इसकी अपनी अलग पहचान थी।
*कोसी कॉलेज के इतिहास विषय के विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) संजीव नंदन शर्मा कहते हैं कि*:-
1750-60 के काल में बंगाल के नवाब से से अनुमति लेकर बैरम सिंह ने इस भव्य महल का निर्माण कराया था। उन्होंने कहा कि सोलंकी राजवंश के बाबू बैरम सिंह के बाद बाबू गणेश सिंह (वीरबन्ना) और बाबू दिग्विजय सिंह ने संजोय कर रखा था। आज इसके वंशज स्व. बाबू राजेन्द्र प्रसाद सिंह उर्फ हीरा बाबू के बेटे जितेन्द्र कुमार सिंह उर्फ पन्ना बाबू व गणेश बाबू हैं।
बताया कि इसका निर्माण जिस उत्साह के साथ किया गया था लेकिन उतना इसका उपयोग नहीं हो सका। बताया गया कि एक अज्ञात आत्मा की भय से 30 वर्ष के भीतर ही बैरम सिंह सपरिवार महल छोड़ दिये। जबकि गांव के बुजूर्गों का कहना है कि राजा को पुत्र नहीं होने के कारण उसने यह महल छोड़ा।
इधर, नगरपाड़ा गाव में कारीगरों द्वारा एक विशाल कुआँ का निर्माण किया गया था। इस कुएं की भी अलग ख्याति थी। वहीं, दूसरी ओर मुंगेर के किला की बनावट, रक्षात्मक मुख्य द्वार निर्माण एवं किला के चारों ओर गंगा नदी के जलधारा के प्रवाहित होने का दृश्य आज भी आकर्षण का केंद्र है।
*बौद्ध भिक्षुओं का रहा है तप स्थल*:-
प्रो. शर्मा बताते हैं कि18वीं सदी में भरतखंड का नाम बटखंड था। यायावर की तरह बौद्ध भिक्षु यहां आकर सांस्कृतिक चेतना जगाते रहे थे। कई-कई माह तक ये यहां तप व विश्राम करते थे।
बौद्ध धर्म के इस रूप को जानने से इस किले की शान में एक अलंकार ही जुट गया। जैसे आम्रपाली के बहुआयामी फैलाव से लिच्छवी और वैशाली की शान बढ़ी। आज यह ऐतिहासिक धरोहर धीरे-धीरे अपनी पहचान खोने के कगार पर है।
ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 1932 में थाईलैंड के दो भिक्षुक आये थे जो अपने साथ पाली भाषा में ताम्र पत्र लाये थे।
आज भी इसकी शानदार साजसज्जा, दीवारों पर उकेरी गई मनमोहक चित्रकारी सबको बरबस अपनी ओर खिंच रहा है। आज जरूरत है इसे संरक्षित व संबद्धित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की।
*कैसे पहुंचें यहां*:-
भरत खंड किला खगड़िया और भागलपुर जिले के सीमांत में बसा भरत खण्ड गांव में स्थित है।
नजदीकी स्टेशन भरत खंड हॉल्ट है। परंतु यह छोटा स्टेशन है।
इसके नजदीक पसराहा व महेश खूँट स्टेशन भी है।
जिला मुख्यालय का सबसे बड़ा स्टेशन खगड़िया जंक्शन है।जहाँ सभी दिशाओं की गाड़ी का ठहराव है।यहां से भरतखंड 38 किलोमीटर पुर्व में है।
मानसी जंक्शन यहां का दुसरा बड़ा स्टेशन है ।
पसराहा से 6 किलोमीटर, महेश खूँट से 19 किलोमीटर तथा मानसी से 29 किलोमीटर पुर्व में है।
इसके अलावा भरत खंड राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 (आसाम रोड) से सीधा जुड़ा हुआ है ।
*सहयोगी साइट*:-
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• ***Edited by :- Prabhat Sharan (Local Guide/Google Map)
• Location Link and Picture Source :-
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