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Part2
इस त्रवेलोग में पता चलेगा की आखिर में रेल फैन कैसे बना।
अप्रैल 2013,अब जम्मू से वापस मुजफ्फरपुर जाने का समय आ गया था।ट्रेन भी वही थी, कोच भी वही था और इंजन भी वहीं था। जम्मू तवी बरौनी अमरनाथ सुपरफास्ट एक्सप्रेस विथ गोंडा WDM3A।ट्रेन रात के 10 बजे थी।मै जम्मू स्टेशन पहुंचा और इंतजार करने लगा।मुझे याद है उस समय...
more... स्टेशन पर शालीमार एक्सप्रेस का अनाउंसमेंट हो रहा था।ट्रेन आधा घंटा पहले प्लेटफॉर्म पर लग गई।अब गोंडा WDM3A को अमरनाथ एक्सप्रेस में जोड़ा जा रहा था,ये दृश्य दिखाने पापा मुझे इंजन के पास ले गए की कैसे इंजन को ट्रेन से जोड़ा जाता है।अब ट्रेन चलने को तैयार थी और मै कोच मै आकर बैठ गया।रात होने की वजह से विंडो से बाहर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।अगले दिन सुबह ट्रेन चल रही थी और मै बाहर देख रहा था।यह से फिर कुछ बताने को है ही नहीं क्युकी उस वक्त मै रेल फैन तो था नहीं।पर ट्रेन जिस जिस स्टेशन पर रुकती थी तो मै बाहर जाकर देखता था और आसपास की ट्रेनों को भी ध्यान से देखता था।ट्रेन जब मोरादाबाद पोहिची तो मै नीचे उतरकर ट्रेन को देखने लगा।उस समय अमरनाथ एक्सप्रेस में सायद 4 एसी कोच थे जिसे देख के मुझे लगा कि ये बोहोत जायदा हैं।मुझे क्या पता था उस समय की ट्रेनों में 10-12 एसी कोच भी होते है।फिर मेरी नजर ट्रेन बोर्ड पर परी,ट्रेन बोर्ड का बैकग्राउंड कलर येलो था और उसपर नीले कलर से ट्रेन का नाम लिखा हुए था।ये टिपिकल नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे ट्रेन बोर्ड था जो उस समय नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे अपनी ट्रेनों में लगाता था लाईक गोरखधाम एक्सप्रेस आदि।ट्रेन के खुलने में वक्त था तो मै इंजन देखने आगे गया।गोंडा WDM3A अभी भी ट्रेन मै लगा हुआ था।मेरे पास उस समय एक छोटा मोबाइल था जिससे मैंने उसका एक फोटो लिया सामने से और ट्रेन में आ गया।यह से आगे बताने के लिए कुछ नहीं है।हाजीपुर से निकलने के बाद ट्रेन पुरी 110 की रफ्तार में लगातार चल रही थी।सुबह के तीन बज रहे थे और मै बाथरूम के बहाने ट्रेन के दरवाज़े पर खरा होकर बाहर देखने लगा। ट्रेन 110 की रफ्तार से भाग रही थी जिससे पटरियों से बोहोत आवाज़ निकल रही थी,वी आवाज़ इतनी तेज़ थी कि कान बंद करने पड़े।ट्रेन सुबह 4 बजे मुजफ्फरपुर के प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर आईं।ट्रेन पुरी खाली थी और प्लेटफॉर्म पर पूरा सनाटा था।उस वक्त घर जाने के लिए ऑटो भी नहीं मिलता तो मै सुबह होने का इंतज़ार करने लगा।ट्रेन अभी भी सामने प्लेटफॉर्म पर लगी हुई थी,में ट्रेन के स्लीपर कोच मै गया और घूमने लगा ट्रेन के अंदर ही।फिर सुबह हुई और मै घर आ गया।सुबह 8 बजे से स्कूल था,घरवाले स्कूल भेजने के पीछे पड़े थे,किसी तरह पीछा छूराया स्कूल से तबीयत खराब का बहाना बना के।3-4 दिन बीतने के बाद भी मै उस अमरनाथ एक्सप्रेस के बारे में ही सोच रहा था।मै सोच रहा था कि हर बाइक, कार,प्लेन, ट्रक का कोई ना कोई नाम होता है तो रेलवे में इस्तेमाल होने वाले इंजन का भी कोई ना कोई नाम जरूर होता होगा।फिर अचानक से याद आया कि मोरादाबाद में मैंने इंजन कि फोटो ली थी,मै जल्दी से उसे खोल कर फोटो ध्यान से देखने लगा।मुझे इंजन के हैडलाइट के दोनों तरफ कुछ नंबर और कोड लिखे हुए मिले। ये नंबर पांच डिजिट का था जो इंजन का रोड नंबर होता है।उस नंबर को मै गूगल इमेज सर्च में डाल के सर्च किया पर कुछ नहीं निकला।पर उसके बगल में जो कोड था(wdm 3a) उसे मैंने जैसे ही इमेज सर्च में डाला तो मेरे सामने बोहोत सारे इंजन का फोटो आ गया।मै हर एक फोटो खोल कर देखने लगा,फिर एक गोंडा wdm 3a का भी फोटो मिला जिसे देख कर मै हैरान था कि ये तो वही इंजन है जो अमरनाथ एक्सप्रेस में लगा हुआ था।उसके बाद से मै महीनों गूगल पर ट्रेन के बारे में सर्च करने लगा,जिसे धीरे धीरे मुझे मालूम हुआ की रेलवे में wds6,wap4 etc तरह के ढेरों इंजन है।मै 6-7 महीने सर्च करता गया ट्रेनों के बारे में जिससे मुझे रेलवे के सारे ट्रेंस, कोचस,इंजन,रूट के बारे में सब कुछ पता चल गया।
रेस्ट इस हिस्ट्री।
जम्मू की रेल जर्नी मेरे लाइफ की सबसे अच्छी रेल जर्नी है जिसे मै कभी नहीं भूल सकता,और इसी जर्नी की वजह से मै रेल फैन बना।