जोधपुर. जोधपुर व जयपुर के बीच प्रतिदिन शाम को चलने वाली इंटरसिटी के एसी चेयरकार व सैकंड सिटिंग में रिजर्वेशन बंद होने तक सैकड़ों बर्थ खाली रहती है, लेकिन जब ट्रेन रवाना होती है तो ये सभी बर्थ पैसेंजर से भरी हुई होती हैं। इस अजीबोगरीब स्थिति से निपटने के लिए रेलवे ने अनोखा तरीका ढूंढा है। ट्रेन चलने से कुछ देर पहले रेलवे प्लेटफॉर्म पर ही टेबल-कुर्सी लगाकर कर्मचारियों को बैठा देता है, ताकि जनरल टिकट लेकर चढऩे वाले यात्री वहीं पर रिजर्वेशन करवा लें। पिछले कुछ दिनों से इन काउंटर पर प्रतिदिन 250 से 300 यात्री रिजर्वेशन करवा रहे हैं। ऐसी व्यवस्था देश के किसी अन्य स्टेशन पर संभवतया देखने को नहीं मिलेगी। रेलवे प्रवक्ता ने बताया कि इस तरह के तीन काउंटर शुरू किए गए हैं जो ट्रेन चलने से एक घंटे पहले लगते हैं।
रेलवे...
more... का तर्क - सुविधा वाला हो यात्रियों का सफर
इंटरसिटी जैसी ट्रेन में यात्री पहले से रिजर्वेशन नहीं करवाते। ट्रेन चलने से कुछ देर पहले स्टेशन पहुंचते हैं और जनरल टिकट लेकर ट्रेन में चढ़ जाते हैं। रिजर्वेशन चार्ट बनने से लेकर ट्रेन चलने तक सीटें खाली ही रहती हैं, इसलिए ट्रेन में टीटीई को पैसे देकर रिजर्वेशन करवा लेते हैं।
अंदर की बात - ट्रेन जोधपुर से, कमाई जयपुर की
टिकट चैकिंग स्टाफ जयपुर मंडल का होता है। पैसेंजर ट्रेन में रिजर्वेशन करवाते हैं तो राजस्व जयपुर मंडल के खाते में चला जाता है। इस कमाई को जोधपुर मंडल अपने खाते में दिखाना चाहता है। प्लेटफॉर्म पर सुविधा शुरू करने से पैसा जोधपुर के खाते में जुड़ेगा।
हकीकत यह - राजस्व का लीकेज रोकने की मशक्कत
सर्वाधिक सीटें सैकंड सिटिंग में होती हैं। 500 से 650 सीटें खाली रहती हैं। रिजर्वेशन पर 15 रुपए शुल्क लगता है। टीटीई को रसीद बनाकर देनी होती है। कई यात्री पांच रुपए बचाने के चक्कर में टिकट चैकिंग स्टाफ को दस रुपए पकड़ा देते हैं। इसकी कोई रसीद नहीं बनती।