मालिक रात को मेवाड़ के वक़्त शायद ही कोई ट्रैन होती है कोटा लाइन पे। सुबह एक पैसेंजर गाड़ी होती है उसको भी crossing देनी होती है।
फर्क पड़ेगा क्योंकि वापस आके ट्रैन को इंदौर के लिए भी रेडी करना है। और अगर आप गौर करें तो बाईपास बनने के बाद सिर्फ हरिद्वार ट्रैन को चित्तौड़ होकर चलाया है वो भी इसलिए ताकि अजमेर से गाड़ी के schedule में कोई चेंज नहीं करना पड़े। उदयपुर से 13:05 वाला स्लॉट ही खाली था और ट्रेन को अजमेर पहले वाले टाइम पे ही पहुचाना था।